Alpha effect (α-effect) :-
जब nucleophile के adjacent position (α) पर कोई electron pair (lonepair) present होता है, तो nucleophile की nucleophilicity increase हो जाती है, इसे alpha-effect कहते है।
Eg- -NH-NH2, -O-NH2,-o-.
Alpha-effect को सबसे पहले Jencks curriuolo (1960) ने ester p-nitrophenyl acetate एवं nucleophile जैसे pyridine आदि के साथ reaction की study करके बताया तथा Edward and Pearson ने 1962 में phrase alpha-effect को बताया।
Example :-
alpha-effect को Bromo acetate मे present Br की OH व O-OH group के द्वारा displacement की rate के द्वारा समझा जा सकता है।
alpha-effect को Bromo acetate मे present Br की OH व O-OH group के द्वारा displacement की rate के द्वारा समझा जा सकता है।
इन दोनों nucleophile की study करने पर, यह ज्ञात होता है कि HO-O ion जो OH ion की तुलना में 10 गुना less basic होता है, कि Bromide ion को replace करने की क्षमता अधिक होती है। अर्थात इसकी reactivity increase होती है। क्योंकि O-OH मे Nu (Nucleophile) OH के adjacent position पर present O मे lonepair of electron present होता हैं, जो OH की nucleophilicity को increase कर देती है, जिसके कारण reaction fast हो जाती है।
Reason's for alpha-effect:-
alpha-effect को completely नही समझा जा सकता है परन्तु इसके कुछ reason निम्न है-
(1) Nucleophile के alpha position पर electron pair (lone pair) होने के कारण इनकी stability कम हो जाती है।
(2)Transition state मे extra electron pair होने के कारण इसकी unstability बढ़ जाती है फलस्वरूप product का formation अधिक होता है तथा rate of reaction increase हो जाती है।
Factor affecting alpha-effect:-
1) polarizibility of nucleophile.
2) Intermolecular catslysis.
3) Solvent.
Importance:-
Rate of reaction increase कर देता है।
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