जीवाणु में प्रजनन (Reproduction In Bacteria)
जीवाणु अर्थात् बैक्टीरिया में प्रजनन (Reproduction in Bacteria in hindi) की विभिन्न विधियाँ पायी जाती है। जीवाणु में भी पौधों की ही तरह अलैंगिक और लैंगिक दोनो प्रकार की प्रजनन देखी जा सकती है। जीवाणुओं में प्रजनन, प्रजनन की सबसे सामान्य विधि द्विविखण्डन (Binary Fission) द्वारा भी होती है, जो कि भोज्य पदार्थों की उपलब्धता एवं अनुकूल तापक्रम जैसी परिस्थितियों में होता है।
प्रजनन | विधियाँ |
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अलैंगिक प्रजनन | द्विविखण्डन (Binary Fission), अन्त: बीजाणुओं द्वारा प्रजनन (By endospores) और चल-बीजाणुओं द्वारा (By-zoospores) प्रजनन। |
लैंगिक प्रजनन | संयुग्मन (Conjugation), रूपान्तरण (Transformation) और पारक्रमण (Transduction)। |
जीवाणुओं में प्रजनन के प्रकार (Types of Reproduction in Bacteria)
जीवाणुओं में प्रजनन अर्थात् Reproduction in bacteria in hindi दो विधियों द्वारा होता है :
- अलैंगिक प्रजनन (Asexual Reproduction)
- लैंगिक प्रजनन (Sexual Reproduction)
जीवाणुओं में अलैंगिक प्रजनन (Asexual Reproduction in Bacteria) -
जीवाणुओं में अलैंगिक प्रजनन दो विधियों द्वारा होता है :
1. द्विविखण्डन (Binary Fission) द्वारा प्रजनन -
Reproduction in bacteria in hindi, इस विधि में विभाजन करने वाली जीवाणु कोशिका पहले आकार में वृद्धि करती है। विभाजन के समय ही इसका आनुवांशिक पदार्थ (Genetic material) विभाजित होकर दो बराबर भागों में बॅंट जाता है। इसके पश्चात् कोशिका के मध्य भाग में संकुचन (Constriction) होना प्रारंभ होता है। यह संकुचन धीरे-धीरे गहरा होता जाता है जिसके कारण एक गहरी खाँच बन जाता है। अन्त में कोशिका का जीवद्रव्य दो बराबर भागों में विभक्त हो जाता है। इसके तुरन्त बाद कोशिका के मध्य भाग में पेक्टिन एवं सेल्युलोज जमा होकर एक कोशिका भित्ति का निर्माण करता है। इस प्रकार एक जीवाणु कोशिका से दो कोशिकायें बन जाती हैं।
ये दोनों कोशिकायें विकसित होकर पुनः विभाजित होती हैं। अनुकूल परिस्थितियों में जीवाणु कोशिकायें प्रत्येक 20 मिनट में द्विविखण्डन करती हैं। यदि अनुकूल परिस्थितियाँ लगातार उपस्थित होती हैं, तो एक अकेली जीवाणु कोशिका से 12 घण्टों में 1,67,77,216 कोशिकायें बन जाती हैं, परन्तु ऐसी अनुकूल परिस्थितियाँ लम्बे समय तक उपलब्ध नहीं हो पाती हैं।
2 अन्त: बीजाणुओं द्वारा प्रजनन (By endospores) –
जीवाणुओं में अन्त: बीजाणुओं अर्थात् ऐंडोस्पोर्स द्वारा अलैंगिक प्रजनन प्रतिकूल (Adverse) परिस्थितियों में होता है। प्रतिकूल परिस्थितियों में कुछ ग्राम ऋणात्मक (Gram Negative -ve) जीवाणु जैसे - बेसीलस (Bacillus) एवं क्लॉस्ट्रीडियम (Clostridium) अत्यन्त प्रतिरोधी (Resistance) अन्त: बीजाणु (Endospoers) बनाते हैं।
अन्तः बीजाणुओं के निर्माण के समय सबसे पहले कोशिका का कोशिकाद्रव्य, कोशिका भित्ति को छोड़कर कोशिका के मध्य भाग में एकत्रित हो जाता है। यह प्रक्रिया कोशिका से जल के बाहर निकल जाने के कारण होती है। बाद में इसके चारों ओर एक कठोर भित्ति बन जाती है। जब दुबारा अनुकूल परिस्थिति आती है, तो ये अन्त:बीजाणु जल का अवशोषण कर उपापचयी रूप से सक्रिय हो जाते हैं तथा इनके ऊपर उपस्थित पैतृक (Parental) कोशिका भित्ति फट जाती है। इस प्रकार अन्त:बीजाणु बाहर हो जाता है। ये अन्तः बीजाणु अंकुरित होकर एक जीवाणु कोशिका को जन्म देते हैं।
एक कोशिका में सामान्यतः एक अन्त:बीजाणु ही बनता है। इस प्रक्रिया से हम कह सकते है कि, अन्तः बीजाणुओं का निर्माण वास्तव में प्रजनन न होकर प्रतिकूल परिस्थितियों से बचने की एक विधि होती है।
3 चल-बीजाणुओं द्वारा (By-zoospores) –
कुछ जीवाणुओं जैसे- राइजोबियम (Rhizobium) में अलैंगिक प्रजनन के समय चल-बीजाणुओं (Zoospores) का निर्माण होता है। ये चल-बीजाणु कोशिका भित्ति के फटने पर स्वतंत्र हो जाते हैं तथा बाद में विकसित होकर एक नई जीवाणु कोशिका बनते हैं।
जीवाणुओं में लैंगिक प्रजनन (Sexual Reproduction in Bacteria) -
जीवाणुओं में लैंगिक प्रजनन की तीन विधियाँ होती है :
1. संयुग्मन (Conjugation) -
जीवाणुओं (ई. कोलाई) में संयुग्मन की खोज लेडरबर्ग एवं टॉटम (Lederberg and Tatum, 1964) ने की थी। यह सामान्य दशाओं (प्राकृतिक) में होने वाला लैंगिक प्रजनन है। जीवाणुओं में दो प्रकार की अगुणित (Haploid) कोशिकायें पाई जाती है-
- नर कोशिका या दाता कोशिका (Donar cell) - इसे F+ कोशिका कहते हैं। इनकी कोशिका भित्ति में विशेष प्रकार के पिली (Pili) पाये जाते हैं। ये उन्हीं जीवाणु कोशिकाओं में पाये जाते हैं जिनमें F कारक या प्लाज्मिड (F factor or plasmid) पाया जाता है।
- मादा कोशिका या ग्राह्य कोशिका (Recipient cell) – इसमें पिली एवं F कारक या प्लाज्मिड नहीं पाये जाते हैं। इसी कारण इसे F- कोशिका कहते हैं।
लैंगिक प्रजनन के समय F+ एवं F- कोशिकायें पास-पास आकर नर कोशिका के पिली की सहायता से एक-दूसरे से जुड़ जाती है। इन्हीं पिली से बाद में एक संयुग्मन नलिका (Conjugation tube) बनती है। इसी संयुग्मन नलिका के माध्यम से नर कोशिका के F प्लाज्मिड या DNA का एक स्ट्रैण्ड मादा कोशिका में स्थानान्तरित हो जाता है। स्थानान्तरण के पश्चात् दोनों कोशिकाओं (F+ एवं F-) में उपस्थित DNA का एक स्ट्रैण्ड रेप्लिकेशन करके अपने दूसरे स्ट्रैण्ड का निर्माण कर लेता है।
2. रूपान्तरण (Transformation) -
Reproduction in bacteria in hindi में, जीवाणुओं में रूपान्तरण विधि द्वारा लैंगिक प्रजनन की खोज ग्रीफिथ (Griffith, 1928) ने किया था।
जब डिप्लोकोक्कस न्यूमोनी (Diplococcus pneumonae) के ऊष्मा उपचारित कर मृत (Heat killed) संक्रामक प्रभेद (Virulent strain) को, इसके असंक्रामक प्रभेद (Avirulent strain) के साथ रखा जाता है तो संक्रामक प्रभेद का आनुवंशिक पदार्थ (DNA) असंक्रामक प्रभेद वाले जीवाणु में स्थानान्तरित हो जाते हैं तथा उसे संक्रामक (Virulent) बना देता है। इस विधि में भी केवल DNA का ही स्थानान्तरण होता है। इस कारण इसे लैंगिक प्रजनन मानते हुए रूपान्तरण (Transformation) कहा गया।
3. पारक्रमण (Transduction) -
Reproduction in bacteria in hindi, जीवाणुओं में पारक्रमण की खोज जिण्डरबर्ग एवं लेडरबर्ग (Zinderberg and Lederberg, 1952) ने साल्मोनेला टाइफीम्यूरियम (Salmonella typhimurium) में किया था।
जब कोई जीवाणुभोजी अर्थात् बैक्टेरियोफेज जीवाणु कोशिका पर संक्रमण करता है तो सर्वप्रथम जीवाणुभोजी का DNA जीवाणु कोशिका में प्रवेश करता है तथा वहाँ पर द्विगुणन करके बहुत से फेज DNA बनाता है। इसी समय जीवाणु कोशिका के DNA का विखण्डन हो जाता है और वह छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाता है। इनमें से कुछ टुकड़े कभी-कभी जीवाणुभोजी के DNA के साथ जुड़ जाते हैं। इस समय इस नये DNA के चारों ओर प्रोटीन का आवरण बन जाता है तथा जीवाणु कोशिका के अन्दर बहुत सारे बैक्टीरियोफेज बन जाते हैं।
जब ये जीवाणुभोजी अन्य जीवाणु कोशिकाओं पर संक्रमण करते हैं तो जीवाणुभोजी का DNA अपने साथ संलग्न जीवाण्विक DNA (Bacterial DNA) सहित नयी जीवाणु कोशिका में स्थानान्तरित हो जाते हैं। इस प्रकार यहाँ पर एक जीवाणु कोशिका का DNA जीवाणुभोजी की सहायता से दूसरी जीवाणु कोशिका में स्थानान्तरित कर दिया जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
उत्तर : Reproduction मुख्यतः दो प्रकार के होते है - 1. अलैंगिक प्रजनन, 2. लैंगिक प्रजनन।
प्रश्न 2 : जीवाणु में प्रजनन कितने प्रकार के होते है?
उत्तर : जीवाणुओं में अलैंगिक प्रजनन दो विधियों द्वारा तथा लैंगिक प्रजनन तीन विधियों द्वारा होती है। अलैंगिक प्रजनन - 1. द्विविखंडन (Binary Fission), 2. अंतः बीजाणुओं द्वारा (Endospores)। लैंगिक प्रजनन - 1. संयुगमन (Conjugation), 2. रूपांतरण (Transformation), 3. पारक्रमण (Transduction)।
प्रश्न 3 : क्या बैक्टीरिया का लिंग होता है?
उत्तर : बहुत से बैक्टीरिया सामान्यतः अलैंगिक प्रजनन द्वारा प्रजनन करते है जिसमे लिंग नही होता है। परंतु कुछ बैक्टीरिया लैंगिक प्रजनन (जैसे - संयुग्मन, रूपांतरण) करते है उनमें लिंग के जगह पर F+ कोशिका और F- कोशिका पायी जाती है।
प्रश्न 4 : बैक्टीरिया के 4 मुख्य आकार क्या हैं?
उत्तर : बैक्टीरिया के 4 मुख्य आकार निम्न है 1. गोलाकार जीवाणु या कोक्कस, 2. छड़ाकार या बेसीलाई, 3. सर्पिलाकार जीवाणु, 4. विब्रियो या कामा। इसके अलावा और भी आकार है - तंतुवत…
प्रश्न 5 : बैक्टीरिया का पहला नाम क्या है?
उत्तर : बैक्टीरिया को सर्वप्रथम एंटोनी वैन लुवेनहोक ने देखा और इसे एनिमलक्यूल्स कहा था।
प्रश्न 6 : बैक्टीरिया का खोज किसने किया?
उत्तर : बैक्टीरिया की खोज एण्टनी वाँन ल्यूवोनहूक ने सन् 1676 में की।
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