शुक्राणु की संरचना | Morphology of sperm notes in hindi

 शुक्राणु की संरचना (morphology of spermatozoa)

शुक्राणु की संरचना को निम्न तीन भागों से समझ सकते है। शुक्राणु की लम्बाई लगभग 60 mu ( शीर्ष + मध्यखंड ) होती है। यह एक अत्यंत विशेषीकृत कोशिका है। इसका मुख्य कार्य -

  1. अण्डाणू तक प्रचलन कर पहुंचना।
  2. अण्डाणु की कलाओं का भेदन।
  3. अण्डाणु को सक्रिय सेंट्रिओल (centriole) प्रदान करना होता है, जिससे अण्डाणु उद्दीपित होकर परिवर्धन (Development) प्रारंभ कर सके।

शीर्ष (Head) :- 

               शीर्ष के आकार में बहुत भिन्नता पाई जाती है। यह अण्डाकार, गोल या पार्श्व से चपटा हो सकता है। शीर्ष में दो मुख्य रचनाएं होती है -

  1.  केंद्रक,
  2.  एक्रोसोम।

1. केंद्रक - 

केंद्रक शीर्ष का अधिकांश भाग घेरती है और एक दूसरे केंद्रक आवरण द्वारा घिरी रहती है। इसके पश्च सिरे पर केंद्रक कला स्थूलित होकर आधारीय पट्टिका (Basal plate) बनाती है। केंद्रक में अर्धसूत्री गुणसूत्रों का एक संघनित पदार्थ होता है। इसमें द्रव या RNA का अभाव होता है। यद्यपि अर्जित बहुलता वाले हिस्टोन प्रोटींस होते है।

2. एक्रोसोम - 

यह केंद्रक के अग्र सिरे पर स्थित होता है। यह एक यूनिट मेंब्रेन द्वारा ढका रहता है। इसमें स्पर्म lysine या अम्लीय हाइड्रोलाइजेस संचित रहते है।

       जैसे - एसिड phosphotases, कैथेप्सिन (cathepsin), Hyaluronidase, यह म्युको प्रोटीन का विघटन करते है।

       स्तनधारियों के एक्रोसोमे में एक्रोसोमिन (Acrosomin) एंजाइम पाया जाता है। यह ट्रिप्सिन के समान कार्य करता है।

मध्य खण्ड (Middle piece) - 

                          यह शीर्ष के पश्च में स्थित रहता है और ग्रीवा द्वारा शीर्ष से जुड़ा रहता है। ग्रीवा में दो सेंट्रियोल स्थित रहते है। इनमे से एक समीपस्थ सेंट्रिओल, निषेचन के बाद अण्डाणु को प्रदान कर दिया जाता है, जो स्पिंडल तंतू का निर्माण कराता है। कुछ विद्वानों के मतानुसार यह शीर्ष मे रहता है।

                          मध्य खण्ड के पश्च सिरे पर समीपस्थ सेंट्रिओल के लंब रूप में स्थित रहता है और पुच्छ का एक्सोनिम स्त्रावित करता है तथा आधारीय काय (Basal body) के रूप मे कार्य करता है।

(i) माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria) - 

मध्य भाग मे एक्सोनिम के चारो ओर कुंडलाकार आकृति मे माइटोकॉन्ड्रिया स्थित रहते है, इसे mitochondrial स्पाइन कहते है। यह ऑक्सी श्वसन द्वारा ऊर्जा उत्पन्न करते है और प्रचलन के लिए पुच्छ को उपलब्ध कराते है।

(ii) मैनचेट (Manchette) -

 यह मध्य खण्ड को घेरे हुए संघनित कोशिकाद्रव्य का खोल होता है, जो मध्य खण्ड और शीर्ष दोनो को स्थायित्व प्रदान करता है। मध्य खण्ड को घेरे हुए कोशिकाद्रव्य के अर्ध-छल्ले रहते है, इन्हें पार्श्विकाएं (Ribs) कहते है। यह मध्य खण्ड को दृढ़ता प्रदान करते है। मध्य खण्ड के पश्च भाग में एक बड़ा छल्ला और होता है, जिसे रिंग सेंट्रिओल कहते है। यह वास्तव मे सेंट्रिओल नही है, बल्कि कोशिकाद्रव्य का दृढ़ छल्ला है।

पुच्छ (Tail or flagellum) - 

                                यह शुक्राणु का पश्च भाग है, जो सर्वाधिक लंबा होता है। यह प्रचलन का कार्य करता है। पुच्छ दो भागों की बनी होती है :- 

  1. मुख्य खण्ड (Principle piece),
  2. अन्तस्थ खण्ड (End piece) ।

1. मुख्य खण्ड - 

यह एक केंद्रीय कोर का बना होता है, जो 9+2 व्यवस्था वाले michrotubule से बनता है। यह पुच्छ आवरण (Tail sheath) से घिरा रहता है।

2. अंतस्थ खण्ड - 

यह मुख्य खण्ड का अंतिम भाग है, जो कोशिकाद्रव्य और प्लाज्मा मेंब्रेन से घिरा रहता है।

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     धन्यवाद!


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